भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के दूसरे दिन 24 अप्रैल को पाकिस्तान के साथ 65 साल पुराना सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया था। अब पाकिस्तान पर इसका असर साफ़ साफ़ दिखने लगा है।
पाकिस्तान में चिनाब नदी का जल स्तर 92% तक काम हो चुका है। नदी में 29 मई को जल स्तर 98 हजार 200 क्यूसेक था। अब यह घटकर सिर्फ 7200 क्यूसेक रह गया है।
पानी का स्तर अभी 3000 क्यूसेक यानी ‘डेड लेवल’ से भी नीचे जा सकता है। पंजाब और सिंध प्रांत के करीब 6.5 करोड़ किसान सिंचाई के लिए चिनाब नदी पर आश्रित हैं।
पानी की कमी के चलते यहां की लगभग 40% से ज्यादा फसल बर्बाद होने की कगार पर हैं। सिंधु नदी पर बने तारबेला बांध और झेलम नदी पर बने मंगला बांध में भी पानी की बहुत ज्यादा कमी हो चुकी है।
इस वजह से पाकिस्तान का कृषि रोजगार कमजोर हो चुका है , इस बार खरीफ सीजन हाल के इतिहास का सबसे खराब उत्पादन हो सकता है।
अब तक कुल लगभग 2200 अरब रुपए का नुकसान
पानी की कमी के चलते पाकिस्तानी सरकार और सेना के खिलाफ किसान संगठनों में जबरदस्त गुस्सा है। पाकिस्तान किसान इत्तिहाद PKI ने चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो सारे किसान इस्लामाबाद की तरफ कूच करेंगे।
PKI का दावा है कि पानी की कमी से गेहूं की फसल में 2200 अरब रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। यह देश की कुल कृषि GDP का 23.15% है। पानी की परेशानी दूर नहीं हुई, तो यह नुकसान साल के अंत तक 4500 अरब रुपए तक पहुंच सकता है।
दुनिया के 7वें सबसे बड़े बांध का जलस्तर 5०% से भी कम
पाकिस्तान के अहम बांधों की हालत बहुत ही खराब है। तारबेला और मंगला बांध आधे से अधिक खाली हो चुके हैं। दुनिया के सातवें सबसे बड़े बांध मंगला में अब 27 लाख एकड़-फुट पानी बचा है। इसकी कुल क्षमता 59 लाख एकड़-फुट है।
वहीं, तारबेला में सिर्फ 60 लाख एकड़-फुट (कुल क्षमता 116 लाख एकड़-फुट) पानी बचा है। अगर पानी की सप्लाई इसी तरह गिरती रही, तो अब तक जमा पानी का 50% हिस्सा भी खत्म हो जाएगा।
पाकिस्तान ने कई चिट्ठियां लिखकर पानी देने की गुहार लगायी
सिंधु जल समझौता को लागु करने को लेकर पाकिस्तान ने भारत को अब तक चार चिट्ठियां लिख चुका है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि इन चिट्ठियों में से एक ऑपरेशन सिंदूर के बाद भेजी गई है।
चारों चिट्ठियां पाकिस्तानी जल संसाधन मंत्रालय सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को ये चिट्ठियां भेजी थीं। इसके बाद मंत्रालय ने उन्हें MEA को भेज दिया।
समझौते के तहत सिंधु वाटर सिस्टम की तीन पूर्वी नदियों का पानी भारत इस्तेमाल कर सकता है और बाकी तीन पश्चिमी नदियों के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया था।


